
पिपलिया स्टेशन (निप्र)। नगर के गांधी चौराहा क्षेत्र में करंट लगने से घायल एक वानर की रविवार को इलाज के अभाव में मौत हो गई। सबसे दुखद बात यह रही कि समय रहते वन विभाग की टीम वानर को न तो रेस्क्यू कर सकी और न ही इलाज के लिए कहीं ले जा सकी, जिससे तड़पते हुए उसकी जान चली गई। नागरिकों ने जीणवाले बालाजी मंदिर परिसर से फूलों से सजी अर्थी निकाली और हिंदू विधि-विधान से अंतिम संस्कार कर श्रद्धांजलि दी। जानकारी के अनुसार शनिवार को गांधी चौराहा क्षेत्र में करंट लगने से एक वानर गंभीर रूप से घायल हो गया था। घटना के बाद वह जीणवाले बालाजी मंदिर के बाहर पड़ा कराहता रहा। स्थानीय लोगों ने उसे तड़पते देखा तो तुरंत मंदसौर वन विभाग को सूचना दी। मौके पर पहुंची वन विभाग की टीम ने करीब एक घंटे तक रेस्क्यू का प्रयास किया, लेकिन संसाधनों की कमी का हवाला देकर खाली हाथ लौट गई। रविवार सुबह वानर ने जीण वाले बालाजी मंदिर के निकट दम तोड़ दिया। मौत की खबर मिलते ही लोग एकत्रित हुए। गई। हिंदू संगठनों और नगर परिषद के सहयोग से वानर की शव यात्रा निकाली गई। एक बालिका ने वानर को राखी भी बांधी, जिससे भावुकता और अधिक बढ़ गई। ढ़ोल-ढमाकों के साथ भजन गाते हुए नगरवासी पिपलियापंथ स्थित मोक्षधाम पहुंचे, जहां सामूहिक रूप से मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार किया गया। श्रीराम स्तुति के साथ वानर को अंतिम विदाई दी गई। वानर की शवयात्रा में नगर परिषद उपाध्यक्ष भारतसिंह सोनगरा, पूर्व अध्यक्ष प्रवीणा गुप्ता, पार्षद कमल गुर्जर, सामाजिक कार्यकर्ता हरिप्रसाद गेहलोत, नरेश जजवानी, देवराज गुर्जर, सुनील मेघवाल, दीपक गोस्वामी, प्रहलाद लक्षकार, रिंकू गौतम, पत्रकार राजेश शर्मा, शंभूमेक, रवि पोरवाल, अशोक सेन सहित नपकर्मी मौजूद रहे। उपस्थित जनप्रतिनिधियों व लोगों का कहना था कि अगर वन विभाग की टीम के पास संसाधन नहीं थे तो मौके पर क्यों भेजा गया ? जब घायल वानर एक स्थान पर बैठा था, तो उसे रेस्क्यू करना कौन-सी बड़ी चुनौती थी ? अगर समय पर इलाज मिलता, तो शायद उसकी जान बच जाती। उन्होंने वन विभाग से मांग की है कि वह अपनी तैयारियों को मजबूत करें, पर्याप्त संसाधन और प्रशिक्षित टीम के साथ ही किसी भी वन्यजीव आपदा में तत्काल रेस्क्यू करें ताकि भविष्य में इस तरह की दुखद घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
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