
रतलाम। पत्रकार दिव्यराज सिंह राठौर के खिलाफ बिना जांच किए एफआईआर दर्ज करना नामली थाना प्रभारी पाती राम डावरे को भारी पड़ गया। रतलाम प्रेस क्लब की शिकायत पर पुलिस अधीक्षक अमित कुमार ने बड़ी कार्रवाई करते हुए टीआई डावरे को तत्काल प्रभाव से लाइन अटैच कर दिया है। साथ ही पत्रकार की शिकायत पर ढाबा संचालक और उसके दो कर्मचारियों पर भी मामला दर्ज किया गया है। पूरा घटनाक्रम पत्रकारिता जगत में गंभीर चिंता का विषय बन गया था, जब एक अधिमान्य पत्रकार के खिलाफ बिना किसी पूर्व जांच या वरिष्ठ अधिकारियों की अनुमति के केस दर्ज किया गया। यह मामला सामने आते ही प्रेस क्लब हरकत में आया और जिला पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंपकर निष्पक्ष कार्रवाई की मांग की।
क्या है मामला?
पत्रकार दिव्यराज सिंह राठौर ने 13 जुलाई 2025 को नामली के सोनगरा ढाबे पर बासी भोजन परोसने की शिकायत एसडीएम व खाद्य विभाग से की थी। जांच में ढाबे से सैंपल लिए गए और खबरें प्रकाशित हुईं। इसी कार्रवाई से नाराज़ होकर 18 जुलाई को ढाबा कर्मचारी ने उल्टा पत्रकार पर गाली-गलौज और धमकी देने का आरोप लगाते हुए नामली थाने में शिकायत दी। चौंकाने वाली बात यह रही कि थाना प्रभारी पाती राम डावरे ने बिना जांच और उच्चाधिकारियों को सूचित किए ही उसी दिन एफआईआर दर्ज कर दी। इस पर जब प्रेस क्लब ने विरोध जताया और दोपहर में एसपी कार्यालय पहुंचकर प्रदर्शन किया, तो तीन घंटे के भीतर थाना प्रभारी को लाइन हाजिर करने के आदेश जारी कर दिए गए।
ढाबा संचालक पर भी दर्ज हुआ मामला
एफआईआर दर्ज करने की कार्रवाई केवल यहीं नहीं रुकी। पत्रकार दिव्यराज सिंह राठौर की ओर से की गई शिकायत पर 24 जुलाई को ढाबा मालिक अजयपाल सिंह, कर्मचारी देवीलाल धाकड़ और अर्जुन सिंह सोनगरा के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की गई। राठौर ने आरोप लगाया कि बासी खाना परोसने के बाद जब उन्होंने बिल मांगा तो ढाबा संचालक और कर्मचारियों ने गाली-गलौज की और जान से मारने की धमकी दी। खराब भोजन के कारण उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था। इस पूरे प्रकरण की शुरुआत ही खाद्य गुणवत्ता की शिकायत और प्रशासन की जांच से हुई थी, जिसके बाद पत्रकार के खिलाफ द्वेषपूर्ण कार्रवाई की गई।
प्रेस क्लब की सख्त प्रतिक्रिया
इस पूरे घटनाक्रम में रतलाम प्रेस क्लब ने जिस तेजी और सख्ती से मोर्चा संभाला, वह प्रशासन को कठोर कदम उठाने को मजबूर कर गया। अध्यक्ष मुकेश पुरी गोस्वामी, सचिव यश शर्मा और उपाध्यक्ष सुजीत उपाध्याय सहित सैकड़ों पत्रकार दोपहर 2 बजे एसपी कार्यालय पहुंचे। यहां उन्होंने नारेबाजी कर पत्रकार के साथ हुई ज्यादती पर आपत्ति जताई। ज्ञापन में उल्लेख किया गया कि अधिमान्य पत्रकारों के विरुद्ध बिना जांच के प्रकरण दर्ज करना शासन के आदेशों की सीधी अवहेलना है। एसपी अमित कुमार ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए न सिर्फ दोषी टीआई को हटाया, बल्कि निष्पक्ष जांच के आदेश भी दिए।
ये रहे प्रमुख पत्रकार जो विरोध प्रदर्शन में शामिल रहे:
मुकेश पुरी गोस्वामी, यश शर्मा, सुजीत उपाध्याय, सौरभ कोठारी, नीरज शुक्ला, दिनेश दवे, मानस व्यास, चेतन शर्मा, शुभ दशोत्तर, राजेश मूणत, आरिफ कुरैशी, नरेंद्र जोशी, असीम राज पांडेय, राजेंद्र केलवा, साजिद खान, दिव्यराज सिंह राठौर सहित 40 से अधिक पत्रकारों ने इस आंदोलन में भाग लिया।
प्रशासनिक लापरवाही पर त्वरित कार्रवाई
इस घटनाक्रम ने यह सिद्ध कर दिया कि पत्रकारिता पर दबाव या द्वेष की कार्रवाई अब बर्दाश्त नहीं होगी। एसपी अमित कुमार द्वारा तीन घंटे में की गई कार्रवाई ने न केवल पत्रकारों का विश्वास लौटाया है बल्कि यह भी स्पष्ट किया है कि कानून से ऊपर कोई नहीं।