
पिपलिया स्टेशन (निप्र)। किसी भी बीमारी के निदान के लिए डॉक्टर सर्वप्रथम मरीज के रक्त की जांच करवाता है, परिणाम के आधार पर उपचार शुरु होता है, उसी प्रकार खेत की भूमि में उपलब्ध तत्वों के आधार पर खाद-बीज दवाईयों का निर्धारण हो, इसके लिए सॉयल हेल्थ कार्ड अनिवार्य होना चाहिए। फटि. एसो. इंडिया नई दिल्ली के सदस्य अशोक कुमठ (पिपलियामंडी) ने मप्र के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर सॉयल हेल्थ कार्ड की अनिवार्यता का सुझाव दिया। कुमठ ने पत्र मंे लिखा असंतुलित खाद भूमि को बंजर बनाने में एक उत्प्रेरक का कार्य करता है। वैज्ञानिक शोध में बताया कि देश की 54 प्रतिशत उपजाउ भूमि यूरिया खाद के असंतुलित उपयोग से अपनी उर्वरा शक्ति खो चुकी है। फसल के लिए आवश्यक तीन तत्व नाइट्रोजन, फोस्फोरस व पोटाश के उपयोग का अनुपात 4ः2ः1 होना चाहिए। जो बिगडकर 15ः8ः1 हो गया है। यूरिया से पौधे मात्र 30 प्रतिशत ही नाइट्रोजन ग्रहण करते है। अधिक यूरिया के उपयोग से पौधे को बीमारियों से ग्रसित करते है। केन्द्र सरकार किसानों को करीब दो लाख करोड़ की भारी राशि सब्सीडी के रुप में दे रही है, लेकिन उसका दुरुपयोग हो रहा है। इस दुरुपयोग को रोकने और परम्परागत खेती छोड़ वैज्ञानिक खेती के लिए किसानों को अग्रसर करने के लिए सरकार को सॉयल हेल्थ कार्ड की अनिवार्यता करना होगी। सभी किसानों के खेत की मिट्टी की जांच अनिवार्य हो, इसके लिए मिट्टी परीक्षण जांच केन्द्रों को वास्तविकता के धरातल पर लाना होगा। प्रदेश में आधी प्रयोग शालाओं पर ताले लगे पड़े है। प्रत्येक किसान को आधार कार्ड की तरह सॉयल हेल्थ कार्ड दिया जाए और कृषि आदान खरीदने में उसे अनिवार्य किया जाए। फसल और मिट्टी परीक्षण के परिणामों के अनुरुप खाद की अनुशंसा हो और उसी पर सब्सीडी मिले, इससे एक और खेती की लागत कम होगी, दूसरी ओर सब्सीडी का दुरुपयोग भी रुकेगा। किसान हितेषी ठोस नीति के लिए सॉयल हेल्थ कार्ड अनिवार्य है।
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