
पिपलिया स्टेशन (जेपी तेलकार)। वरिष्ठ पत्रकार कल्पेश याग्निक आत्महत्या प्रकरण में फर्जी दस्तावेजों के सहारे जमानत लेने के आरोप में फरार चल रही नीमच निवासी सलोनी अरोरा को मल्हारगढ़ पुलिस ने मंगलवार दोपहर गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के बाद सलोनी को इंदौर क्राइम ब्रांच के हवाले कर दिया गया है। मामले में सलोनी के साथ जमानत देने वाले आरोपी केदार डाबी और दस्तावेजों को वैध बताने वाली मधु श्रीवास्तव के खिलाफ भी इंदौर पुलिस ने केस दर्ज कर रखा है।
कैसे हुई गिरफ्तारी
सूत्रों के अनुसार, इंदौर क्राइम ब्रांच को जानकारी मिली थी कि सलोनी मल्हारगढ़ क्षेत्र में मौजूद है। सूचना मिलते ही मल्हारगढ़ थाना प्रभारी राजेन्द्र कुमार पंवार को सतर्क किया गया। पुलिस टीम ने उस कार का पीछा किया जिसमें सलोनी सवार थी। हाइवे पर हर्कियाखाल के पास दोपहर करीब 1 बजे सलोनी को दबोच लिया गया और थाने लाया गया। टीआई पंवार ने बताया कि, “मामला हमारे थाना क्षेत्र का नहीं था, सिर्फ सूचना के आधार पर सलोनी को पकड़कर इंदौर पुलिस को सौंपा गया है।”
क्या है पूरा मामला
14 जुलाई 2018 की रात वरिष्ठ पत्रकार कल्पेश याग्निक ने इंदौर स्थित दैनिक भास्कर कार्यालय की छत से कूदकर आत्महत्या कर ली थी। आरोप था कि पूर्व पत्रकार सलोनी अरोरा ने उन्हें ब्लैकमेल कर 5 करोड़ रुपए की मांग की थी। इस घटना के बाद सलोनी के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने, ब्लैकमेलिंग, धोखाधड़ी, आईटी एक्ट सहित गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया गया। गिरफ्तारी के बाद सलोनी को जमानत मिल गई थी और मामला जिला कोर्ट में ट्रायल पर है।
फर्जी जमानत का खेल
हाल ही में सामने आया कि सलोनी ने कोर्ट में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जमानत ली थी। पहले उसने डिंपल पिता संजय अरोरा की जमानत पेश की थी, बाद में उसे बदलकर केदार डाबी के माध्यम से जमानत कराई। 3 जनवरी 2024 को केदार डाबी ने कोर्ट में एक फर्जी ऋण पुस्तिका प्रस्तुत कर 5 लाख रुपए की जमानत दी। इस प्रक्रिया में मधु श्रीवास्तव ने शपथपत्र को वैध बताया, जिससे उनकी भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है।
हाईकोर्ट में भी चर्चा
नीरज याग्निक (कल्पेश के भाई) ने शिकायत में बताया कि केदार डाबी एक आदतन जमानतदाता है, जिसके खिलाफ हाईकोर्ट में भी टिप्पणियां हो चुकी हैं। डाबी पर पहले भी कई बार जमानत प्रक्रिया में धोखाधड़ी के केस दर्ज हैं।
गंभीर धाराएं दर्ज
इस मामले में धोखाधड़ी, साजिश, फर्जी दस्तावेज बनाने व उनका इस्तेमाल करने जैसी कुल 10 धाराओं — IPC 115, 120B, 420, 465, 466, 467, 470, 471, 474 में केस दर्ज किया गया है।
कोर्ट से भी छलावा
नीरज याग्निक ने यह भी बताया कि जमानत मिलने के बाद सलोनी बीते तीन वर्षों से कोर्ट में पेश नहीं हुई, सिर्फ जमानत के दिन ही वह कोर्ट में दिखाई दी। यह कोर्ट और कानून दोनों के साथ खुला फर्जीवाड़ा है।
गंभीर साजिश की आशंका
नीरज ने आशंका जताई है कि सलोनी और उसके साथियों ने यह साजिश इसलिए रची थी कि यदि कोर्ट में केस हार जाए तो फर्जी जमानत के सहारे देश छोड़कर भाग सके।
अब आगे क्या?
सलोनी की गिरफ्तारी के बाद इंदौर क्राइम ब्रांच ने पूछताछ शुरू कर दी है। इस मामले में आगे और गिरफ्तारी हो सकती हैं। यह प्रकरण इंदौर न्यायालय में विचाराधीन है और पुलिस की जांच जारी है।