
रतलाम जिले के सैलाना एसडीएम कार्यालय के तत्कालीन रीडर मनीष विजयवर्गीय को रिश्वत लेने का दोषी पाया है। भ्रष्टाचारी विजयवर्गीय को 4 वर्ष के सश्रम कारावास और 2 हजार रुपए के अर्थदंड की सजा सुनाई गई। रीडर ने नलकूप खनन की अनुमति दिलवाने के लिए राजस्व विभाग के कर्मचारी से रिश्वत मांगी थी। फैसला रतलाम जिला कोर्ट के विशेष न्यायालय (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) के जज आदित्य रावत ने सुनाया । विशेष लोक अभियोजक कृष्णकांत चौहान ने बताया कि मनीष विजयवर्गीय (43) सैलाना एसडीएम कार्यालय में वर्ष 2018 में रीडर पद पर पदस्थ थे। शिकायतकर्ता हरिवल्लभबामनिया ने 31 दिसंबर 2018 को उज्जैन लोकायुक्त कार्यालय में शिकायत दर्ज की थी। शिकायत में बताया था कि उसने सैलाना में अपने प्लॉट पर मकान निर्माण हेतु ट्यूबवेल खनन की मंजूरी के लिए आवेदन दिया। कई महीनों तक एसडीएम कार्यालय के चक्कर लगाने के बाद भी अनुमति नहीं मिली। इस दौरान तत्कालीन अभियुक्त रीडर मनीष विजयवर्गीय ने उससे ट्यूबवेल मंजूरी के लिए 5 हजार रुपए की रिश्वत मांगी। बामनिया की शिकायत पर लोकायुक्त टीम ने जांच शुरू की। रिश्वत की बातचीत को गुप्त रूप से रिकॉर्ड किया। विजयवर्गीय ने 3 हजार रुपए में रिश्वत का सौदा तय किया था। लोकायुक्त उज्जैन की टीम ने 3 जनवरी 2019 को सैलाना एसडीएम कार्यालय में रीडर विजयवर्गीय पर ट्रैप की कार्रवाई की थी। शिकायतकर्ता से 3 हजार रुपए लेते ही लोकायुक्त इंस्पेक्टर वेदांत शर्मा ने उसे रंगे हाथों पकड़ लिया। रिश्वत की रकम रीडर जेब से बरामद की गई थी। केमिकल परीक्षण (फिनाफ्थलीन पाउडर और सोडियम काबोनेंट घोल) में रिश्वत लेने की पुष्टि हुई थी। लोकायुक्त ने जांच कर आरोपी विजयवर्गीय के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति प्राप्त कर रतलाम विशेष न्यायालय में 18 जनवरी 2023 को चार्जशीट दाखिल की थी। सुनवाई के बाद विशेष न्यायालय ने अभियुक्त विजयवर्गीय को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 7 के तहत दोषी करार दिया। कोर्ट ने आरोपी को 4 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 2 हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया।