
पिपलिया स्टेशन (निप्र)। मंदसौर जिले के शामगढ़ से 10 किमी दूर प्राचीन चमत्कारी परासली तीर्थ जिर्णोद्धार के बाद सफेद संगमरमर के नव स्वरुप में जगमग होकर प्रतिष्ठा के लिए तैयार है। आगामी 19 अप्रेल को यह शुभ मुहुर्त आ गया है। तीर्थ ट्रस्टी अशोक कुमठ (पिपलियामंडी) ने बताया मालवा के शंत्रुजय के नाम से विख्यात परासली तीर्थ के मूलनायक भगवान आदिनाथ की श्वेतवर्णी पद्मासन में विराजित अत्यन्त चमत्कारी प्रतिमा है, जो इसी गांव से निकली थी। चूँकि यहां जैन समाज के कोई घर नही थे, इसलिए मूर्ति को अन्यत्र ले जाने की बहुत कौशिश की, लेकिन सफल नही हो सके। एक बार परासली गांव की ओर तत्कालीक सूबा कलेक्टर हीराचंद आए, उन्होंने रात्रि विश्राम गांव खांइखेड़ा में किया। देवदर्शन के बिना भोजन नही करने के नियम का मालूम पड़ने पर गोखरु परिवार आपको देवदर्शन के लिए परासली ले गए, वे प्रतिमा देख इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने स्वयं वि.सं. 1959 में फाल्गुन विधि 4 व 5 दो दिन महोत्सव का आयोजन कराया। सभी श्रीसंघों की उपस्थिति में संवत 1973 में मंदिर प्रतिष्ठा एवं ध्वजारोहण का कार्य सम्पन्न हुआ। मंदिर की प्राचीनता, चमत्कारीक प्रतिमा व धर्मालुओं की आस्था को ध्यान में रखते हुए सन् 2002 में आचार्य देवहर्षसागर सूरीश्वर मसा का मालवा की ओर विहार हुआ। उन्होंने मंदिर के जिर्णोद्धार का संकल्प लेकर शंखनाद किया। ट्रस्ट अध्यक्ष विश्मय धींग एवं सचिव प्रसन्न लोढ़ा ने बताया विगत् 12 वर्षों से लगातार जिर्णोद्धार का कार्य चल रहा है। मकराना के मार्बल से उड़ीसा के कारीगरों द्वारा भव्य नक्कासी का कार्य किया जा रहा है, जो मालवाचंल के किसी भी मंदिर में नही है। गुम्बज की बनावट और नक्कासी आबू के प्रसिद्ध दिलवाड़ा जैन मंदिर की याद दिलाती है। लोढ़ा ने बताया आगामी 4 अप्रेल से भव्य प्रतिष्ठा महोत्सव आचार्य देव जिन हेमचंदसागर मसा आदि ठाणा की निश्रा में प्रारंभ होकर 19 अप्रेल को प्रतिष्ठाा के साथ सम्पन्न होगा। वर्षीतप आराधकों को आखातीज पर पारणें के लिए 1400 वर्ष प्राचीन आदिनाथजी के दर्शन वंदन का लाभ मिलेगा। करीब 18 करोड़ की लागत से नवनिर्मित मालवा का शंत्रुजय परासली तीर्थ प्रतिष्ठा के लिए तैयार है।
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