
भोपाल। मध्यप्रदेश की पंचायतों में विकास कार्यों के नाम पर भारी वित्तीय अनियमितताएं सामने आई हैं। लोकल ऑडिट फंड की ताजा रिपोर्ट ने प्रदेश की पंचायत व्यवस्था की पोल खोल दी है। रिपोर्ट के अनुसार, पंचायतों ने करीब 250 करोड़ रुपये बिना स्वीकृति के खर्च कर दिए और उसका कोई ठोस हिसाब तक नहीं रखा।
बिना बजट मंजूरी के खर्च: 11 जिलों में गड़बड़ी उजागर
वित्त विभाग के अंतर्गत स्थानीय निधि लेखा परीक्षा (Local Fund Audit) ने प्रदेश के 11 जिलों — विदिशा, सागर, दमोह, टीकमगढ़, ग्वालियर, मुरैना, बड़वानी, सिवनी, उज्जैन, सीधी और खरगौन में जिला पंचायतों की जांच की। जांच में सामने आया कि इन जिलों में 125 करोड़ की राशि का भुगतान ऐसे कार्यों में किया गया, जिनमें भारी अनियमितता की आशंका है। इसके अलावा, 70 करोड़ रुपये ऐसी योजनाओं पर खर्च किए गए, जिनकी कोई आवश्यकता नहीं थी। वहीं 34 करोड़ रुपये के भुगतान से संबंधित बिल तक पेश नहीं किए गए हैं। ऑडिट रिपोर्ट ने 16 करोड़ के लेन-देन में सीधे गड़बड़ी की आशंका जताई है।
राजस्व वसूली पर भी लापरवाही
रिपोर्ट के मुताबिक, पंचायतों ने राजस्व वसूली जैसे तालाबों की लीज, दुकानों का किराया, मछली पालन, मेलों और सफाई कर आदि को लेकर कोई गंभीरता नहीं दिखाई। यह स्थिति तब है जब सरकार पंचायतों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए लगातार प्रयासरत है।
अब होगी कार्रवाई
लोकल ऑडिट फंड ने इस रिपोर्ट के साथ सभी संबंधित विभागों को आपत्तियां सौंप दी हैं। विभाग ने संकेत दिए हैं कि जल्द ही जिला और जनपद पंचायतों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। जिन अफसरों और कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई है, उन पर भी जवाबदेही तय की जाएगी।
सवालों के घेरे में पारदर्शिता और जवाबदेही
इस रिपोर्ट के बाद एक बार फिर राज्य की पंचायती राज व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर सवाल उठने लगे हैं। ग्रामीण विकास और बुनियादी ढांचे के नाम पर जारी राशि का बिना निगरानी खर्च होना शासन व्यवस्था की गंभीर चूक मानी जा रही है। सरकार की ओर से अब इस पूरे मामले की गहराई से जांच और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही जा रही है, लेकिन यह भी तय है कि इस रिपोर्ट से प्रदेश की पंचायत व्यवस्था की साख पर गहरा सवालिया निशान लग गया है।