मंदसौर कस्टडी डेथ कांड! पुलिस हिरासत में 38 वर्षीय युवक की मौत से बवाल, टॉर्चर के लगे गंभीर आरोप, नारकोटिक्स विंग घेरे में, 450 ग्राम एमडी ड्रग्स के साथ गिरफ्तार महिपाल सिंह की मौत, अस्पताल नहीं पुलिस कस्टडी बनी कब्रगाह ? परिजनों का आरोप—‘नाम उगलवाने के लिए पीट-पीटकर मार डाला!’

रिपोर्ट: जेपी तेलकार, संवाददाता
🔥 एक रात, एक गिरफ्तारी, और सुबह लाश…
मन्दसौर । बुधवार रात की गिरफ्तारी के महज़ कुछ घंटे बाद गुरुवार दोपहर एक मौत ने पूरे मंदसौर जिले को हिला दिया। नारकोटिक्स विंग की हिरासत में रहे युवक महिपाल सिंह (38 वर्ष) की संदिग्ध हालात में मौत हो गई। परिजन और समाजिक संगठनों का आरोप है कि पुलिस ने महिपाल को बुरी तरह पीटा, जिससे उसकी मौत हो गई। हिरासत में मौत की यह घटना अब राजनीतिक तूल पकड़ चुकी है। जिला प्रशासन, मेडिकल सिस्टम, और पुलिस की कार्यशैली पर सवालों की बौछार शुरू हो चुकी है।
🕘 घटना की टाइमलाइन
बुधवार शाम पिपलिया सीरी क्षेत्र से गिरफ्तारी
रात 1:15 बजे पुलिस का दावा – तबीयत बिगड़ी
रात 1:50 बजे अनुयोग हॉस्पिटल में भर्ती
गुरुवार सुबह परिवार को सूचना दी गई
दोपहर 12:45 अस्पताल में मौत
शाम हंगामा, शव पर चोटों के निशान पर विवाद
👁️🗨️ परिजनों का दावा – ‘हत्या है, अस्पताल नहीं पहुंचा… बेहोशी में लाया गया था’
परिजन जुझार सिंह ने आरोप लगाया— “महिपाल को इतनी बेरहमी से पीटा गया कि शरीर नीला पड़ चुका था। सुबह 5 बजे फोन आया, हम मंदसौर पहुंचे तो पता चला – बेटा मर चुका है। ये टॉर्चर से हुई मौत है।” परिजन यह भी कह रहे हैं कि उसे जब अस्पताल लाया गया, तब वह होश में नहीं था। उल्टियों की बात झूठ है। चोट के निशान CCTV और मेडिकल रिपोर्ट में सामने आएंगे।
🚨 नारकोटिक्स विंग का पक्ष – ‘उल्टियों से हालत बिगड़ी’
टीआई राकेश चौधरी का बयान: “रात सवा एक बजे तबीयत बिगड़ी, डेढ़ बजे अनुयोग अस्पताल में भर्ती किया। डॉक्टरों ने बताया कि फेफड़ों में संक्रमण था और उल्टी फेफड़ों में चली गई। इलाज के दौरान मौत हुई।” जब उनसे अस्पताल चयन को लेकर पूछा गया तो उन्होंने कहा: “कहीं यह नियम नहीं लिखा कि मरीज को सिर्फ सरकारी अस्पताल में ही भर्ती करना है। निजी अस्पताल ज्यादा सुसज्जित और नजदीक था।”
🏥 अनुयोग हॉस्पिटल क्यों, जिला अस्पताल क्यों नहीं?
परिजनों और संगठनों का सवाल है – जब मंदसौर मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल मौजूद है, तो अनुयोग अस्पताल में भर्ती क्यों किया गया? क्या पुलिस ने मामले को ‘क्लोज रूम’ में दबाने के लिए निजी अस्पताल चुना? क्या सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्थाओं पर पुलिस को भरोसा नहीं?
🔥 करणी सेना और राजनेताओं की एंट्री – अब मांग CBI जांच की
करणी सेना के प्रमुख जीवन सिंह शेरपुर बोले – “यह मौत नहीं, न्याय व्यवस्था की हत्या है। यदि दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो सड़कों पर उतरेंगे।। पूर्व विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया ने ट्वीट किया – “सरकार को जवाब देना होगा कि पुलिस हिरासत में कैसे मारा गया आरोपी?”
📂 पुलिस अधिकारी खुद विवादों से घिरे हुए हैं!
टीआई राकेश चौधरी और उनकी टीम पहले भी NDPS मामलों में विवादित रह चुके हैं। वर्ष 2022 में राजस्थान और उत्तरप्रदेश में दो अलग-अलग मामलों में इन पर कोर्ट के आदेश पर FIR दर्ज हो चुकी है। 2021: हिरासत में एक आरोपी की मौत – मामला ठंडे बस्ते में गया । 2022: प्रतापगढ़ कोर्ट के आदेश पर चौधरी और चावड़ा के खिलाफ FIR । अब 2025: तीसरी मौत… क्या ये इत्तेफाक है
📋 महिपाल सिंह – एक प्रोफाइल, बिंदु व विवरण
नाम महिपाल सिंह
उम्र 38 वर्ष
निवासी उन्हेल, जिला उज्जैन
पारिवारिक स्थिति विवाहित, 13 वर्षीय पुत्र
पूर्व केस 2009 में 300 ग्राम स्मैक में NDPS केस, 12 साल सजा
हालिया गिरफ्तारी 450 ग्राम MD के साथ
मौत 24 जुलाई दोपहर 12:45, अनुयोग अस्पताल
⚖️ कानूनी और संवैधानिक पक्ष
CrPC 176(1) – हिरासत में मौत की न्यायिक जांच अनिवार्य IPC 330, 302, 304, 306 – टॉर्चर, हत्या, गैर इरादतन हत्या की धाराएं लागू हो सकती हैं । मानवाधिकार आयोग – हिरासत में मौत स्वतः संज्ञान लेकर पूछताछ कर सकता है । अनुच्छेद 21, 22 (भारतीय संविधान) – हिरासत में जीवन और वकील तक पहुंच का मौलिक अधिकार ।
🔎 फिलहाल जांच और रिपोर्टिंग पर टिकी निगाहें
पोस्टमार्टम डॉक्टरों के पैनल से करवाया गया है । वीडियोग्राफी की गई है । CCTV फुटेज, अस्पताल की OPD रजिस्ट्रेशन, कॉल रिकॉर्डिंग की जांच होगी । मजिस्ट्रेट स्तर पर जांच के आदेश जारी किए गए हैं
📣 निष्कर्ष: क्या ये कस्टडी टॉर्चर था? या पुलिसिया भूल?
महिपाल सिंह की मौत ने सिस्टम, पुलिस, अस्पताल और प्रशासन – सभी की जवाबदेही पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। अगर निष्पक्ष जांच नहीं हुई, तो यह मामला राज्य स्तरीय आंदोलन का रूप ले सकता है।
🔴 अब अगला कदम – पोस्टमार्टम रिपोर्ट का खुलासा और मजिस्ट्रियल जांच का रुख तय करेगा कि ये ‘मौत’ थी या ‘हत्या’!