
मंदसौर – बलात्कार के झूठे आरोप में फंसाने की धमकी देकर लूटपाट करने वाले छः आरोपियों को 7 साल के सश्रम कारावास और एक-एक हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई गई। यह फैसला अपर जिला सत्र न्यायाधीश मुनेन्द्र सिंह वर्मा ने सुनाया। मामला वर्ष 2020 का है। फरियादी नंदकिशोर एलआईसी एजेंट है। 10 नवंबर 2020 को उसके मोबाइल पर एक महिला का कॉल आया। महिला ने एलआईसी पॉलिसी लेने के बहाने उसे मल्हारगढ़ बुलाया। 17 नवंबर को दोपहर करीब दो बजे वह बाइक से मल्हारगढ़ पहुंचा। महिला ने उसे जंगल की ओर चलने को कहा लेकिन नंदकिशोर ने मना किया, इसी दौरान दो बाइक पर दो महिलाएं और दो पुरुष आए और उन्होंने रास्ता रोक लिया। साथ ही कहा कि हमारी पायल को बिगाड़ रहा है। सभी एक-दूसरे को ममता, कुशालीबाई, भय्यू और श्यामलाल नाम से बुला रहे थे। इन लोगों ने नंदकिशोर की जेब से मोबाइल, पर्स, तीन हजार रुपए, आधार कार्ड और एलआईसी आईडी छीन ली। फिर बलात्कार की झूठी रिपोर्ट लिखवाने की धमकी दी। उसी समय नंदकिशोर का परिचित कारूलाल गोस्वामी वहां पहुंचा, उसने समझाइश दी। तब आरोपियों ने तीन लाख रुपए की मांग की। डर के कारण नंदकिशोर ने पचास हजार रुपए देने की बात कही। आरोपी उसे मनासा ले गए, वहां से उसने हरलाल से पचास हजार रुपए मंगवाए और आरोपियों को दे दिए। आरोपी रुपए लेकर चले गए। मामले में पीड़ित की शिकायत पर मल्हारगढ़ पुलिस ने प्रकरण दर्ज करते हुए आरोपियों को गिरफ्तार किया। विवेचना के बाद चालान न्यायालय में पेश किया गया। अभियोजन पक्ष ने न्यायालय में 12 गवाहों के बयान करवाए। तर्कों से सहमत होकर न्यायालय ने श्यामलाल उर्फ समरथ मोगिया निवासी सावन, गुलाम हैदर निवासी बादरीपुरा (रामपुरा), नाथीबाई निवासी भारखेड़ी, कुशालीबाई निवासी सावन, ममताबाई गोस्वामी निवासी गोपालपुरा, पायल राजपूत निवासी नरसिंहपुरा मंदसौर को दोषी माना। सभी को सात साल का सश्रम कारावास और एक-एक हजार रुपए जुर्माने की सजा दी गई। लोक अभियोजक तेजपालसिंह शक्तावत, अपर लोक अभियोजक भगवतीलाल शर्मा और भगवानसिंह चौहान ने पैरवी की।