
पिपलिया स्टेशन (निप्र)। न्यायालय नारायणगढ में प्रथम राष्ट्रीय लोक अदालत में 63 प्रकरणों का आपसी समझौते के आधार पर निराकरण हुआ। इस असवर पर 2 विवाहित जोडो ने आपसी समझौते से एक-दूसरे को माला पहनाकर साथ-साथ रहने का वचन दिया। न्यायाधीश सौरभकुमारसिंह ने कहा कि इस नेशनल लोक अदालत की उपयोगिता तभी सार्थक है, जब इसमें अधिकाधिक राजीनामें हो, इससे पक्षकारों का समय और धन दोनांे बचेगें। इसके साथ ही न्यायालय पर प्रकरणों का भार भी कम होगा। लोक अदालत में 02 खंडपीठो का गठन किया है। जिसमें प्रीलिटिगशन के न्यायालय में लंबित आपराधिक, परकाम्य लिखित अधिनियम की धारा 138 के चक बाउस संबधी, धन वसूली संबधी, भरण पोषण प्रकरणों का निराकरण के लिये रखा गया। जिसकी सुनवाई के बाद खंडपीठ के पीठासीन अधिकारियों द्वारा निराकरण कर पक्षकारों को लाभांवित किया गया। प्रथम व्यवहार न्यायाधीश, कनष्ठि खंड सौरभ कुमारसिंह के न्यायालय में कुल 21 प्रकरणों हुआ। द्वितीय व्यवहार न्यायाधीश, कनिष्ठ खंड श्रीमती साक्षी प्रसाद के न्यायालय में कुल 42 प्रकरणों में राजीनामा हुआ है, इसमें श्रीमती कृष्णाबाई व राधेश्याम का अपने पति से कई वर्षों से मन मुटाव होने से दम्पत्ति पृथक-पृथक निवास करने लगे थे, न्यायालय, अभिभाषक, सामाजिक कार्यकर्ता के प्रयासों से दोनांे के मध्य विवाद आपसी समझौते से समाप्त हुआ। दोनों साथ-साथ रहने पर सहमत हुए। दम्पति ने एक दूसरे को माला पहनाई एवं न्यायालय परिसर से ही साथ रहने के लिये दोनों न्यायालय में सहमत हुए। इस अवसर पर अभिभाषक संघ कार्यवाहक अध्यक्ष प्रवीणकुमार चौधरी, सचिव विनोद गुर्जर, समस्त अधिवक्तागण, सामाजिक कार्यकर्ता, भारतीय स्टेट बैंक, सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया, मध्यप्रदेश ग्रामीण बैंक, बीएसएनएल के प्रतिनिधि व न्यायिक कर्मचारीगण मौजूद रहे।
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