
झालावाड़ (राजस्थान)। राजस्थान के झालावाड़ जिले में शुक्रवार सुबह एक दर्दनाक हादसे ने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया। मनोहरथाना ब्लॉक के पिपलोदी गांव स्थित राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय की छत अचानक भरभराकर ढह गई। हादसे के वक्त कक्षा में करीब 60 बच्चे मौजूद थे। इस भयावह घटना में 7 बच्चों की मौत हो गई, जबकि 9 बच्चे गंभीर घायल हैं। 30 से अधिक बच्चे मामूली रूप से घायल हुए हैं। पूरे गांव में मातम पसरा है और परिजन अपने मासूमों को रो-रोकर तलाशते रहे।
सुबह बारिश के बीच हुआ हादसा, बच्चों को एक साथ कक्षा में बैठाया गया था
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, सुबह करीब 8 बजे जब बच्चों को प्रार्थना के लिए ग्राउंड में ले जाया जाना था, तब बारिश के चलते उन्हें कक्षा के एक कमरे में इकट्ठा किया गया। तभी अचानक छत गिर गई और दर्जनों बच्चे उसके नीचे दब गए। हादसे के बाद स्कूल परिसर में अफरा-तफरी मच गई। ग्रामीण, अभिभावक और स्टाफ दौड़कर पहुंचे और बचाव कार्य में जुट गए।
JCB से मलबा हटाया गया, 35 से ज्यादा बच्चों को बाहर निकाला गया
घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस और स्वास्थ्य विभाग मौके पर पहुंचे। जेसीबी मशीनों की मदद से राहत कार्य शुरू किया गया। मनोहरथाना CHC और झालावाड़ जिला अस्पताल में 35 बच्चों को भर्ती कराया गया, जिनमें 11 की हालत बेहद गंभीर थी। इलाज के दौरान दो और बच्चों ने दम तोड़ दिया।
छत गिरने से पहले गिरे थे कंकड़, बच्चों ने दी थी सूचना
एक छात्रा वर्षा ने बताया कि छत से पहले कंकड़ और मलबा गिरना शुरू हुआ था, बच्चों ने बाहर खड़े शिक्षकों को इसकी जानकारी दी, लेकिन उन्होंने गंभीरता नहीं दिखाई। कुछ ही क्षण बाद पूरी छत भरभराकर गिर गई।
मृतक बच्चों की सूची:
1. कुंदन (12) पिता वीरम, जाति भील 2. कान्हा पिता छोटू लाल रैदास 3. पायल (14) पिता लक्ष्मण, जाति भील 4. प्रियंका (14) पिता मांगीलाल, जाति भील 5. संतोष पिता बाबूलाल, जाति भील 6. तार सिंह पिता हरचंद, जाति लोध 7. कार्तिक (8) पिता हरकचंद, जाति अज्ञात
गंभीर घायल बच्चों में शामिल:
1. मिनी (13) पिता छोटूलाल 2. वीरम (8) पिता तेजमल 3. मिथुन (11) पिता मुकेश 4. आरती (9) पिता हरकचंद 5. विशाल (9) पिता जगदीश 6. अनुराधा (7) पिता लक्ष्मण 7. राजू (10) पिता दीवान 8. शाहीना (8) पिता जगदीश
जवाबदेही और लापरवाही: अधिकारियों की निष्क्रियता उजागर
कलेक्टर अजय सिंह राठौड़ ने बताया कि स्कूल जर्जर भवन की सूची में नहीं था, जबकि शिक्षा विभाग को निर्देश दिए गए थे कि सभी जर्जर स्कूलों में छुट्टी कर दी जाए। स्कूल स्टाफ की लापरवाही सामने आई है। बच्चों द्वारा चेतावनी के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई।
5 शिक्षकों को किया गया सस्पेंड
हेडमास्टर मीना गर्ग सहित 4 शिक्षक निलंबित।
प्रशासन ने हादसे के बाद पूरी इमारत गिरा दी
घटना की जांच से पहले ही प्रशासन ने स्कूल भवन का बचा हुआ हिस्सा जेसीबी से गिरा दिया, जिससे साक्ष्य मिटने की आशंका भी जताई जा रही है।
हॉस्पिटल में मातम का माहौल, गोद में बेहोश बच्चे लिए दौड़ते रहे मां-बाप
झालावाड़ जिला अस्पताल में चीख-पुकार मची रही। कई बच्चों को बेहोशी की हालत में लाया गया। डॉक्टरों के मुताबिक दो बच्चों की सर्जरी की गई है, उनकी हालत अब स्थिर है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और संवेदनाएं:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पोस्ट कर घटना पर दुख जताया और हरसंभव मदद का भरोसा दिया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, और सांसद हनुमान बेनीवाल ने शोक व्यक्त किया। शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा – “हजारों स्कूल बिल्डिंग जर्जर हैं, सुधार का काम शुरू हो गया है। प्राथमिकता घायलों का इलाज है।”
यह सिर्फ हादसा नहीं, सिस्टम पर सवाल है!
बारिश में स्कूल बिल्डिंग का गिरना सिर्फ एक प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि सरकारी स्कूलों की उपेक्षा और व्यवस्थागत लापरवाही की खुली पोल है। यदि समय रहते मरम्मत की जाती, चेतावनियों को गंभीरता से लिया जाता, तो शायद मासूम बच्चों की जान बच सकती थी। अब ज़रूरत है सख्त जवाबदेही और व्यापक निरीक्षण की। वरना अगला हादसा किस गांव के बच्चों को निगल जाएगा, कोई नहीं जानता।