
सिंगोली (निप्र)। जावद तहसील की सिंगोली क्षेत्र के पिपलीखेड़ा गांव में दूषित पानी पीने से ग्रामीणों में उल्टी-दस्त की बीमारी फैल गई है। बीते तीन दिनों में 50 से अधिक लोग इस संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। कई मरीजों की हालत बिगड़ने पर उन्हें सिंगोली, बेगूं और भीलवाड़ा के अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।गांव में अचानक बड़ी संख्या में लोग बीमार पड़ने से हड़कंप मच गया। सूचना मिलते ही स्वास्थ्य विभाग की टीम गुरुवार को गांव पहुंची और मरीजों की जांच कर उन्हें दवाइयां उपलब्ध करवाई गईं। ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर डॉ. राजेश मीणा ने बताया कि विभाग की टीम गांव में लगातार भ्रमण कर मरीजों की निगरानी कर रही है। उन्होंने कहा कि मरीजों को आवश्यक उपचार दिया जा रहा है और गांव में बीमारी के कारणों की जांच की जा रही है।हालांकि स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट में 11 मरीजों की पुष्टि हुई है, लेकिन स्थानीय ग्रामीणों का दावा है कि यह संख्या 50 से अधिक है। उनका कहना है कि गांव में कई दिनों से पानी की सप्लाई खराब है और पाइप लाइन के ज़रिए जो पानी आ रहा था, वह गंदा और पीने लायक नहीं था। ग्रामीणों के अनुसार इसी वजह से उल्टी-दस्त की यह बीमारी फैली है। गंभीर होते हालात को देखते हुए तहसीलदार प्रेमशंकर पटेल और नायब तहसीलदार मकवाना भी मौके पर पहुंचे और स्थिति की जानकारी ली। उन्होंने ग्रामीणों को भरोसा दिलाया कि प्रशासन पूरी मदद करेगा और जल्द स्थिति पर नियंत्रण पाया जाएगा। इस दौरान ग्राम पंचायत ताल की सरपंच रोशन देवी गुर्जर ने बताया कि जिस ट्यूबवेल से जल आपूर्ति की जा रही थी, उसे तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया गया है। अब गांव में टैंकरों के माध्यम से पेयजल की व्यवस्था की जा रही है। सरपंच ने यह भी कहा कि लगातार बारिश के कारण जल स्रोतों में गंदगी आ जाने से भी बीमारी फैलने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। इस घटना के बाद पीएचई विभाग ने पानी के सैंपल लेकर जांच के लिए भेज दिए हैं। रिपोर्ट आने के बाद ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि बीमारी का मुख्य कारण क्या था।ग्रामीणों ने इस स्थिति को गंभीर बताते हुए प्रशासन से मांग की है कि गांव में स्थायी रूप से स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था की जाए। उनका कहना है कि हर साल बरसात के दौरान इसी तरह की समस्या खड़ी होती है, लेकिन प्रशासन कोई ठोस कदम नहीं उठाता। यदि समय रहते समाधान नहीं किया गया तो यह बीमारी और भी ज्यादा फैल सकती है। गांव में दवाइयों के वितरण के साथ ही लोगों को उबला पानी पीने की सलाह दी गई है। स्वास्थ्य विभाग ने ग्रामीणों से अपील की है कि वह किसी भी प्रकार की शारीरिक तकलीफ होने पर तुरंत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र या नजदीकी अस्पताल से संपर्क करें। स्थिति पर जिला प्रशासन की सतत निगरानी बनी हुई है और आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। ग्रामीणों को उम्मीद है कि प्रशासन इस बार इस संकट का स्थायी समाधान निकालेगा।