
पिपलिया स्टेशन (निप्र)। कहते हैं कि बेटे की कमी कोई पूरी नहीं कर सकता, लेकिन बेटियां भी बेटों से बढ़कर फर्ज निभाती हैं। ऐसा ही हृदयस्पर्शी दृश्य समीपस्थ गांव पिपलिया विश्निया में देखने को मिला, जब पिता के निधन पर 17 वर्षीय बेटी ने परंपरा की दीवारें तोड़ते हुए बेटे का कर्तव्य निभाया। गांव पिपलिया विश्निया निवासी घीसालाल सुथार पिता दृ जगदीश सुथार कुछ समय से अस्वस्थ थे और गुरुवार को उनका निधन हो गया। परिवार में तीन बेटियां हैं, जिनमें दो विवाहित और एक अविवाहित सिमरन है। पिता के निधन से शोकाकुल सिमरन ने यह निश्चय किया कि वह अंतिम संस्कार की सारी रस्में स्वयं निभाएगी। शवयात्रा में सिमरन ने अपने पिता की अर्थी को कंधा दिया। श्मशान घाट पर उसने मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार संपन्न किया। इतना ही नहीं, परंपरा अनुसार उसने मुंडन भी कराया। सिमरन का अपने पिता से गहरा लगाव था, वह उनकी हर बात मानती थी और हमेशा उनके साथ रहती थी। गांव में इस घटना की चर्चा दिनभर रही। लोगों ने सिमरन के साहस, प्रेम और कर्तव्यनिष्ठा की प्रशंसा की। मात्र 17 वर्ष की उम्र में उसने जो संकल्प और हिम्मत दिखाई, वह समाज के लिए एक मिसाल बन गई है।
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