पिपलिया स्टेशन (निप्र)। रक्षाबंधन जैसे पवित्र पर्व से ठीक पहले एक परिवार पर ऐसा दुख टूट पड़ा, जिसने पूरे गांव को ग़मगीन कर दिया। गांव भुनियाखेड़ी निवासी मजदूर कैलाश खारोल के इकलौते पुत्र दीक्षित (उम्र 11 वर्ष) का 1 अगस्त को अहमदाबाद में इलाज के दौरान निधन हो गया। बीते कुछ समय से बीमार चल रहे दीक्षित की हालत में सुधार नहीं हो रहा था। चार बेटियों के बाद जन्मा दीक्षित, परिवार की उम्मीद और खुशियों का केंद्र था। उसका जन्म जैसे पूरे परिवार के लिए ईश्वर का आशीर्वाद बनकर आया था। पढ़ाई में होशियार, स्वभाव से विनम्र और हमेशा मुस्कराने वाला दीक्षित पूरे मोहल्ले का चहेता बन गया था, लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। मंदसौर के एक विद्यालय में कक्षा 6वीं में अध्ययनरत दीक्षित अपनी चारों बहनों की आंखों का तारा था। जैसे ही रक्षाबंधन का पर्व पास आया, बहनों ने राखियां तैयार करना शुरू कर दिया था। मगर किसे पता था कि इस बार उनकी कलाई सूनी रह जाएगी। भाई को राखी बांधने का सपना अधूरा ही रह गया। 1 अगस्त की रात जब दीक्षित का पार्थिव शरीर गांव लाया गया, तो हर आंख नम हो उठी। मातम में डूबा गांव, बिलखती मां, बेसुध पिता और दहाड़ें मारती चारों बहनें—हर दृश्य भावुक कर देने वाला था। दीक्षित की असमय मृत्यु से न सिर्फ उनका परिवार, बल्कि पूरा गांव शोक में डूब गया है। परिवार के इस इकलौते चिराग का अंतिम संस्कार 2 अगस्त को गांव भुनियाखेड़ी में हुआ।