
पिपलिया स्टेशन (निप्र)। बांछडा समुदाय में पढ़ाई कर रहे युवाओं को नौकरी के लिए जाति-प्रमाण पत्र जारी नही किए जाने पर पिपलियामंडी के युवा द्वारा दायर की गई जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने मप्र सरकार से जवाब ले मांगा है। बाछड़ा जाति के बच्चों के पिता नहीं होने के कारण अनुसूचित जाति का जाति प्रमाण पत्र जारी नहीं से किए जाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर को जस्टिस एसए धर्माधिकारी एवं जस्टिस गजेंद्रसिंह की कोर्ट में सुनवाई हुई। इस ने दौरान जस्टिस गजेंद्रसिंह ने सरकार के रवैये को लेकर बोर्ड से ही टिप्पणी की कि, सरकार ने इस समाज के लिये कुछ नहीं कर रही है, न तो वेश्यावृत्ति रोक पा रहे हैं और न ही इनके उध्दार के लिये कुछ किया जा रहा है। बाछड़ा समुदाय के बच्चों को मां के आधार पर प्रमाण पत्र जारी करने को लेकर विमुक्त युवा संगठन मप्र के विशाल नेकाड़ी (पिपलियामंडी) ने हाईकोर्ट में वकील राजेश जोशी के जरिए जनहित याचिका दायर की है। अभिभाषक जोशी ने बताया कि रतलाम, मंदसौर और नीमच जिले के 82 गांव है जहां 5 से 7 हजार बांछडा परिवार रहते हैं। सरकार पूर्व में इन परिवारों के बच्चों को अनुसूचित जाति का मानकर उन्हें जाति प्रमाण पत्र जारी करती थी। 2016 तक इसी तरह से जारी प्रमाण पत्रों के कारण बाछड़ा समुदाय के आधा दर्जन से अधिक बच्चों को सरकारी नौकरी मिल गई, जिससे उनका परिवार वेश्यावृत्ति से बाहर निकलकर मुख्यधारा में जुड़ सका। लेकिन वर्तमान में इन जिलों में करीबन 70 बच्चे ऐसे है जो अभी अपनी जाति प्रमाण पत्र का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन सरकार इन्हें जाति प्रमाणपत्र जारी नहीं कर रही है। दरअसल सरकार इन बच्चों से उनके पिता की जानकारी मांग रही है। चूंकी इनकी मां वेश्यावृत्ति में हैं, ऐसे में वे अपने पिता की जानकारी नहीं दे पा रहे हैं। इसके चलते कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इस याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट में सरकारी वकील ने इस पर आपत्ति ली। लेकिन कोर्ट ने इस मामले की गंभीरता को समझते हुए इस याचिका को मान्य कर लिया। साथ ही कोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी करते हुए इस पर जवाब पेश करने के लिए कहा है। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता को भी डांटा। दरअसल याचिका में सरकार को पार्टी नहीं बनाया गया है। इसके साथ ही कोर्ट से मांग की गई है कि वे तीनों जिले के कलेक्टर को आदेश जारी करे कि वे तुरंत बाछंडा समुदाय के बच्चों को जाति प्रमाण-पत्र जारी करे। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने सुप्रीम कोर्ट के उन आदेशों की भी बात रखी जिसमें मां की जाति के हिसाब से जाति प्रमाण पत्र जारी करने के लिए कहा गया है। याचिका में खामियों को इंगित करते हुए जस्टिस धर्माधिकारी ने याचिकाकर्ता के वकील को कहा कि आपका मुद्धा ठीक है। लेकिन जिस तरह से याचिका ड्राफ्टिंग की गई है वो सही नहीं है। इस पर हम किस तरह से केस की सुनवाई कर सकते हैं।
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