
पिपलिया स्टेशन (निप्र)। श्री साधुमार्गी जैन संघ पिपलिया नगर में इस वर्ष चातुर्मास का आयोजन धार्मिक उत्साह और श्रद्धा के साथ किया जा रहा है। संघ के अध्यक्ष मनोहरलाल जैन ने बताया कि जैन धर्म परंपरा में चातुर्मास आत्मिक उन्नति और आत्मा उत्थान का पर्व है। यह अवसर सत्य, अहिंसा, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह जैसे उच्च आदर्शों को जीवन में अपनाने और आत्मा की शुद्धि के लिए विशेष माना जाता है। इसी दौरान आठ दिवसीय पर्व पर्युषण का आयोजन भी होता है, जिसमें ज्ञान, दर्शन और चरित्र तप के माध्यम से महापुण्य अर्जित किया जाता है। अध्यक्ष जैन ने जानकारी दी कि इस बार पिपलिया नगर में तीन स्वाध्याय बंधुओं का मंगल पदार्पण हुआ। इनमें मनीष कुमार पोखरना, मंगलवाड़ चौराहा (समता शाखा राष्ट्रीय संयोजक), महावीर कोठारी, निंबाहेड़ा (धार्मिक प्रवृत्ति राष्ट्रीय संयोजक) और रत्नेश कोठारी, भिंडर (अध्यक्ष समता युवा संघ भिंडर) शामिल हैं। उनके आगमन से नगर में धर्म-ध्यान और तप-त्याग की गतिविधियाँ और अधिक प्रभावी हुईं। उन्होंने बताया कि प्रवचनों में अंतरगढ़ सूत्र का अर्थ सहित वाचन हुआ और भगवान महावीर स्वामी की आगम वाणी का वर्णन किया गया। स्वाध्याय बंधुओं ने अपने व्याख्यानों में यह संदेश दिया कि हर व्यक्ति का जीवन धर्ममय और ज्ञानमय होना चाहिए। जीवन दुर्लभ है और इसे व्यर्थ न गँवाकर आत्मा की शुद्धि के लिए प्रयास करना आवश्यक है। आचार्य रामलाल मा.सा. और उपाध्याय राजेशमुनि मसा का भी यही संदेश है कि संसार, असार है और मुक्ति के लिए प्रवृत्ति को छोड़कर निवृत्ति को अपनाना होगा। आत्मा की शुद्धि से ही जन्म-मरण का चक्र समाप्त हो सकता है। जैन ने आगे बताया कि चातुर्मास के दौरान नगर पिपलिया (अमरनगरी) में प्रातः प्रार्थना, प्रवचन, दोनों समय प्रतिक्रमण, धार्मिक चर्चाएँ, रात्रि संवर और अनेक व्रत-तप आयोजित किए गए। चार अठाई की तपस्या मनोज चौहान, मंजू छीगावत, पूर्वा खींदावत और परिधि भंडारी ने की। इसी प्रकार एकासने के 12 सीधी तप की तपस्या भी श्रावक-श्राविकाओं ने संपन्न की। अध्यक्ष जैन ने बताया कि 28 अगस्त को श्री साधुमार्गी जैन संघ परिवार की नौकारसी और तपस्वियों के पारणा की सामूहिक व्यवस्था सुबह 7 बजे समता जैन भवन पर की जाएगी। इसके बाद प्रातः 10 बजे मनासा रोड स्थानक पर सामूहिक क्षमायाचना का कार्यक्रम होगा। उन्होंने कहा कि क्षमायाचना का दिन वास्तव में मैत्री दिवस है। अंतिम दिन देवसी प्रतिक्रमण में सभी श्रावक-श्राविकाएँ चार गति के चौरासी लाख जीवों से मन, वचन और काया से जाने-अनजाने हुई गलतियों के लिए क्षमा याचना करेंगे।
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