
मंदसौर (निप्र)। नारकोटिक्स विंग की अभिरक्षा में हुई नागदा के पिपलियाशीष निवासी महिपाल सिंह की संदिग्ध मौत के मामले में नया मोड़ आ गया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में युवक की मौत का कारण “कोरोसिव पॉइजन” यानी तेज़ाब जैसे जहरीले पदार्थ का सेवन बताया गया है। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद मृतक के परिजनों ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। मृतक महिपाल के चाचा झुझार सिंह ने दावा किया कि महिपाल पुलिस हिरासत में था, ऐसे में जहरीला पदार्थ उसके पास कैसे आया? उन्होंने आरोप लगाया कि या तो पुलिस ने उसे ज़हर देकर मारा या फिर पोस्टमार्टम रिपोर्ट ही गलत है। झुझार सिंह ने कहा कि जब वे मंदसौर पहुंचे, तो महिपाल की मौत हो चुकी थी और उसके मुंह, नाक, कान, आंख और यूरिन से खून निकल रहा था। डॉक्टरों ने शुरू में निमोनिया बताकर भ्रमित किया, लेकिन रिपोर्ट में स्पष्ट हुआ कि मौत जहरीले पदार्थ से हुई। महिपाल को 23 जुलाई को नारकोटिक्स विंग द्वारा 450 ग्राम एमडी के साथ गिरफ्तार किया गया था। 24 जुलाई की सुबह परिजनों को सूचना दी गई कि उसकी तबीयत खराब है, पर जब वे पहुंचे तो वह मृत पाया गया। परिजनों का आरोप है कि न केवल पुलिस की भूमिका संदिग्ध है बल्कि इलाज करने वाला अनुयोग हॉस्पिटल भी जांच के दायरे में है। डॉक्टरों ने किसी भी तरह के जहर का उल्लेख नहीं किया और निमोनिया के लक्षण बताकर इलाज किया। इस मामले में सीएमएचओ डॉ. गोविंद सिंह चौहान ने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण कोरोसिव पॉइजन सामने आया है। मौत के सही कारणों की पुष्टि के लिए विसरा रिपोर्ट की प्रतीक्षा की जा रही है। उन्होंने बताया कि कोरोसिव पॉइजन वह होता है जो शरीर में गंभीर आंतरिक घाव करता है। इधर नारकोटिक्स विंग के तत्कालीन टीआई राकेश चौधरी ने मामले में कहा कि मजिस्ट्रियल जांच चल रही है और रिपोर्ट आने के बाद स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। उन्होंने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया क्योंकि मामला न्यायालय में लंबित है। अनुयोग हॉस्पिटल के संचालक डॉ. योगेन्द्र कोठारी ने कहा कि मरीज को खून की उल्टियां और सांस लेने में तकलीफ थी, जिसे देखते हुए निमोनिया जैसी बीमारी की आशंका जताई गई थी। उनकी टीम ने जान बचाने की पूरी कोशिश की थी। उन्होंने बताया कि परिजन उनसे मिले थे, लेकिन उन्होंने अस्पताल के खिलाफ कोई शिकायत नहीं की। परिजन अब इस पूरे घटनाक्रम की न्यायिक जांच और दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। मामले में विसरा जांच और मजिस्ट्रियल रिपोर्ट आने के बाद ही सच्चाई का पूरी तरह से खुलासा हो सकेगा।