
पिपलिया स्टेशन (जेपी तेलकार)। एक ओर सरकार और प्रशासन नशे के कारोबार पर नकेल कसने के दावे कर रही है, वहीं दूसरी ओर उसी व्यवस्था का एक प्रहरी ही नशे के काले धंधे में लिप्त पाया गया। नारायणगढ़ थाना क्षेत्र अंतर्गत बूढ़ा चौकी पुलिस ने शनिवार रात एक ऐसी सनसनीखेज कार्रवाई हुई जिसमें नीमच पुलिस लाइन में पदस्थ आरक्षक को ही 30 किलो डोडाचूरा के साथ रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया। आरोपी ड्यूटी के दौरान तस्करी में संलिप्त था।
कैसे फंसा पुलिसकर्मी खुद जाल में:-
बूढ़ा चौकी प्रभारी शुभम व्यास ने बताया पुलिस को लंबे समय से एक संदिग्ध कार की गतिविधियों की सूचना मिल रही थी। मुखबिर से मिली पक्की जानकारी के आधार पर शनिवार रात करीब 2 बजे बूढ़ा और मुंजाखेड़ी मार्ग के बीच नाकाबंदी की गई। इस दौरान एक कार क्रमांक एमपी 44 सीसी 5597 को रोका गया। कार में दो व्यक्ति सवार थे, और तलाशी लेने पर कट्टों में भरा 30 किलो डोडाचूरा बरामद किया गया। कार में बैठे व्यक्ति ने जब अपनी पहचान बताई, तो पुलिस भी हैरान रह गई। आरोपी था राजेन्द्रसिंह पिता बलवंतसिंह सौंधिया, उम्र 35 वर्ष, निवासी भांगी पिपलिया (थाना नारायणगढ़), जो फिलहाल नीमच पुलिस लाइन में पदस्थ था। साथ में बैठे व्यक्ति की पहचान भगत सिंह पिता रण सिंह सौंधिया, निवासी चौथखेड़ी के रूप में हुई। जो उसका चचेरा भाई निकला।
ड्यूटी से गायब भी था पुलिसवाला:-
जानकारी में सामने आया कि मनासा से लाइन हाजिर होने के बाद राजेंद्र सिंह पिछले कुछ समय से जिला अस्पताल नीमच में चौकी गार्ड ड्यूटी पर तैनात था, लेकिन तीन दिन पूर्व से बिना सूचना के ड्यूटी से गैर हाजिर था और इसी दौरान वह तस्करी में संलिप्त मिला। सूत्रों के मुताबिक, वह वर्दी पहने हुए था, यानी तस्करी के दौरान भी खाकी का उपयोग सुरक्षा कवच की तरह कर रहा था। हालांकि पुलिसकर्मी के वर्दी में होने बात से पुलिस इंकार कर रही है।
विभागीय इतिहास भी संदिग्ध:-
राजेंद्रसिंह पर पहले भी अनुशासनहीनता के आरोप थे। पहले वह मनासा थाने में पदस्थ था, लेकिन वहां विभागीय कार्रवाई के चलते उसे लाइन अटैच किया गया था। उसके खिलाफ मारपीट का प्रकरण भी दर्ज है, जिसकी जांच अभी जारी है। साथ ही उसके रिश्तेदारों पर भी एनडीपीएस एक्ट के अंतर्गत प्रकरण दर्ज हो चुके हैं।
दो दिन रिमाण्ड पर:-
नारायणगढ़ टीआई अनिल रघुवंशी ने बताया कि डोडाचूरा व कार को जब्त करने के बाद शनिवार को आरोपी को एनडीपीएस एक्ट कोर्ट मंदसौर पेश किया गया, जिसे दो दिन पुलिस रिमाण्ड पर सौंपने के आदेश हुए है। आरोपी डोडाचूरा कहां से लाया था तथा किसे देने जा रहा था। इस संबंध में पूछताछ की जाएगी।
तुरंत निलंबन, जांच के आदेश:-
मामले की गंभीरता को देखते हुए नीमच पुलिस अधीक्षक अंकित जायसवाल ने राजेंद्र सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर विभागीय जांच के निर्देश दिए हैं। एसपी जायसवाल ने स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों में किसी भी प्रकार की ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश भर में जिन पुलिसकर्मियों पर संदेह या विभागीय जांचें लंबित हैं, उन्हें लाइन अटैच किया गया था। राजेंद्र सिंह को लाइन अटेच किया था।
एसडीओपी ने कहा गहराई से हो रही जांच:-
एसडीओपी मल्हारगढ़ नरेंद्र सोलंकी ने कहा कि यह मामला अत्यंत गंभीर है। आरोपियों से यह जानने की कोशिश की जा रही है कि मादक पदार्थ कहां से लाए गए और इसे कहां सप्लाई होना है। इनके पीछे कोई बड़ा गिरोह सक्रिय तो नही है।
दो वर्ष पूर्व भी बर्खास्त हुआ था आरक्षक:-
यह कोई पहली घटना नहीं है जब खाकी वर्दीधारी ही अपराध में संलिप्त पाया गया हो। 27-28 मई 2023 को भी बूढ़ा चौकी क्षेत्र में चोरी की बोलेरो को छुड़वाने के प्रयास में एक आरक्षक देवेंद्र सिंह को बर्खास्त किया गया था। उसने भी पुलिस का स्टीकर लगी गाड़ी को छुड़ाने के लिए चौकी प्रभारी को कॉल कर दबाव बनाया था। मामला मीडिया में आने के बाद एसपी ने मामले की जांच कराई व उसे बर्खास्त किया था।
भरोसे को गहरी चोट:-
आरक्षक की गिरफ्तारी के बाद पूरे क्षेत्र में खासी चर्चा है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब नशे के खिलाफ कार्रवाई के लिए जिम्मेदार लोग ही इस गोरखधंधे में लिप्त होंगे, तो आम जनता किससे न्याय की उम्मीद करे ? यह घटना सिर्फ पुलिस विभाग नहीं, बल्कि पूरे कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रही है। मंदसौर और नीमच क्षेत्र, जो पहले से ही अफीम और मादक पदार्थों की तस्करी के लिए कुख्यात है, अब इस दाग को वर्दी भी साझा कर रही है। जब रक्षक ही भक्षक बन जाए, तो क्या कानून के नाम पर सिर्फ दिखावा बचता है ? आरक्षक का तस्करी में पकड़ा जाना एक अपवाद नहीं, बल्कि व्यवस्था में फैले भीतरघात और भ्रष्टाचार का संकेत है। पुलिस विभाग को अब खुद की आंतरिक सफाई करनी होगी।
———