
पिपलिया स्टेशन (निप्र)। भगवान तक पहुँचने में हम असमर्थ है, लेकिन गुरु का हाथ पकड़कर हम वहां पहुँच सकते है। भगवान और भक्त के बीच का सेतु गुरु है। उक्त बात पिपलिया में ज्ञानार्जन चार्तुमास के बाद साध्वी श्रुतपूर्णा मसा ने नाकोड़ा में भक्तों को संबोधित करते हुए कही। मसा ने कहा गुरु के बिना जीवन शुरु नही हो सकता। हम जीवन में फेमेली डॉक्टर, वकील व सीए रखते है, वैसे ही फेमेली गुरु रखना चाहिए। गुरु दूसरों से नही दूसरों के लिए जलता है। गुरु से सुख, दुख में सदैव अच्छा मार्गदर्शन मिलता है। गणधर गौतम स्वामी ने महावीर को गुरु माना। जबकि वे स्वयं चार ज्ञानों के ज्ञानी थे। गुरु शब्द का अर्थ है, अंधकार से दूर रखे। बही तीर्थ अध्यक्ष अशोक कुमठ ने प्रातः 9 बजे गुरु गौतम स्वामी की प्रतिमा के सामने अक्षत, फल, नैवेध, पूजा का विधान हुआ। गुरु वंदन में श्रीफल, अक्षत की गहुलियों से वंदन किया। इस अवसर पर प्रतापगढ़ से आए संगीतकार दीपक करणपूरिया ने भी गुरु भक्ति की प्रस्तुति दी।
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