
पिपलिया स्टेशन (निप्र)। बिना रक्त की जांच के अंधाधुध इलाज चलता रहे तो क्या बीमारी से निजात मिल कर शरीर स्वस्थ रह सकता है ? यही स्थिति बिना मिट्टी परीक्षण के खेतों की हो रही है। यह बात भूनियाखेड़ी में स्वस्थ खेत, समृद्ध किसान विषय पर आयोजित कार्यशाला में बैंगलोर से आए कृषि वैज्ञानिक स्वयंप्रकाश चोधरी ने कही। चोधरी ने कहा खेत की मिट्टी में आवश्यक तत्वों की जानकारी के अभाव में अंधाधुंध रासायनिक खाद का प्रयोग खेत को बंजर बनाने में एक उत्प्रेरक का कार्य कर रहे है। मिट्टी के स्वास्थ्य और जैविक कार्बन का महत्व समझाते हुए उन्होंने बताया बिना सूक्ष्म जीवाणु के खाद पौधों तक नही पहंुचता। अतः मिट्टी की पी.एच. वेल्यू जांचना अत्यन्त आवश्यक है। केवल यूरिया डालने से काम नही चलेगा। मिट्टी में बेक्टिरिया, नाइट्रोजन अवशोषित कर पौधों को पहंुचाते है। अतः मिट्टी में सूक्ष्म जीवाणु आवश्यक है। देश में लगभग 75 लाख हेक्टेयर उसर भूमि हो गई है। सालभर में एक बार गोबर, खाद, केजुआ खाद दे। चोधरी ने कहा अब समय आ गया। किसान अपनी पारम्परिक खेती छोड़ वैज्ञानिक खेती अपनावे। प्रत्येक खेती छोड़ वैज्ञानिक खेती अपनावे। प्रत्येक किसान के लिए सॉयल हेल्थ कार्ड अनिवार्य हो और उसी अनुरुप खाद, दवाई की मात्रा तय हो। केन्द्रीय कृषि मंत्री ने वैज्ञानिक खेती की समझाइश हेतु भारतीय कृषि अनुसंधान को जिम्मेदारी दी है। नई शोध और वैज्ञानिक जानकारी हेतु 2170 टीमें तैयार की है। जो 65000 से अधिक किसानों को प्रशिक्षित करेगी। यह योजना खरीफ में प्रारंभ होने जा रही है। स्थानीय वितरण अशोक कुमठ ने बताया सायं दीप प्रज्जवलन के से कार्यक्रम प्रारंभ ह ुआ। स्वागत् भाषण अजीत राणा ने दिया। आभार अतुल मकोड़े ने माना। इस अवसर पर कृषि आदानों का उत्कृष्ट विक्रय के लिए अभिषेक कुमठ का सम्मान किया।
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