
पिपलिया स्टेशन (जेपी तेलकार)। तहसील में मोगिया आदिवासी समाज के जाति प्रमाण पत्र नहीं होने से कहीं बच्चो को शिक्षा से वंचित होना पड़ रहा है। वहीं रेबारी समाज में शब्द त्रुटि के कारण कई छात्र-छात्राओं को योजनाओं का लाभ नही मिल पा रहा है।
आदिवासी के प्रमाण-पत्र नही बनने से मोगिया समाज हो रहा परेशान:-
लसुडिया कदमाला निवासी मोगिया समाज के शंकरलाल पिता किशनलाल मोगिया ने बताया समाज के जाति प्रमाण पत्र के अभाव में कई बालक बालिकाएं शिक्षा से वंचित रह जाते हैं, जाति प्रमाण पत्र शिक्षा में आरक्षण छात्रवृत्ति और अन्य सरकारी योजनाओं के लाभ प्राप्त करने के लिए आवश्यक है, यदि किसी बालक बालिका के पास जाति प्रमाण पत्र नहीं है तो उसे इन लाभों से वंचित होना पड़ रहा है, मंदसौर जिले में स्कूली बच्चों को अब तक जाति प्रमाण-पत्र उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है, इस कारण बच्चे विभिन्न योजनाओं का लाभ नहीं ले पा रहे है। वहीं जिले में ऐसे भी बच्चे हैं, जिनके अभिभावक के पास जाति प्रमाण पत्र होने के बाद भी बच्चों को जाति प्रमाण-पत्र बनाने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। शकरलाल ने बताया मेरे पिता का जाति प्रमाण पत्र अनूसूचित जनजाति का है, मेरा अनूसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र होने के बाद भी मेरी बेटी कल्पना का अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र नही बनाया जा रहा है। बेटी का नवोदय विद्यालय में चयन हो गया है, जाति प्रमाण-पत्र के अभाव में बेटी का भविष्य अंधकार में है। मैं तहसील कार्यालय के चक्कर लगाकर थक गया हंू, मुझे स्पष्ट जवाब नही मिल पा रहा है।
शब्द त्रुटी के चलते रेबारी समाज में भी आ रही परेशानी:-
रेबारी समाज के हीरालाल रेबारी (ढ़ाणी) ने बताया मध्यप्रदेश में विमुक्त घुमंतु अर्धघुमंतू मैं रेबारी जाति भी आती है, लेकिन शब्द की त्रुटि की वजह से कई छात्र-छात्राओं को शासन की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है और घुमंतू के जाति प्रणाम पत्र भी नहीं बन पा रहे हैं। घूमन्तु विभाग में शब्द त्रुटि कर पशुपालक रेभारी कर रखा है। जबकि रेवेन्यू जमीन से लेकर कागजात में रेबारी शामिल कर रखा है। जिसकी वजह से शासन की योजनाओं से वंचित है, शिकायत के बाद शासन-प्रशासन द्वारा अनदेखी की जा रही है। कई बार विभाग की मंत्री श्रीमती कृष्णा गौर, घुमन्तु विभाग, जिला कलेक्टर को छात्र-छात्राएं आवेदन दे चुके है। हीरालाल ने बताया मध्यप्रदेश में रेबारी जाति लगभग जनसंख्या करीब 35000 है। प्रमाण-पत्र नही बनाए जाने से छात्र-छात्राओं को भविष्य अंधकार में है। अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों की की उदासीनता के चलते समाज के लोगों के साथ ही शासन की योजनाओं का लाभ नही मिल पा रहा है।
दस्तावेजों की जांच कराकर बनाते है, प्रमाण-पत्र:-
मल्हारगढ एसडीएम रविन्द्र परमार का कहना है मोगिया समाज के कई लोगों के जाति प्रमाण-पत्र एससी के बने हुए है तो कई एसटी के। एसे में जांच कराने के बाद ही प्रमाण-पत्र बनाए जाते है। वहीं रेबारी समाज के प्रमाण-पत्र भी घुमन्तू के नियमानुसार बनाए जा रहे है।
———-