
पिपलिया स्टेशन (निप्र)। साधु जीवन शैली का अनुसरण ही उपधान तप है। 47 दिन की यह तप आराधना उपवास और निवी के साथ होती है। सांसरिक व्यवहार और व्यापार से निवृत्ति के साथ देव गुरु और धर्म के प्रति समर्पण का भाव है उपधान। यह बात आचार्य निपूर्ण रत्न विजय मसा ने बही पार्श्वनाथ तीर्थ पर उपधान तप आराधना के प्रवेश मुहुर्त प्रदान करते हुए करेड़ा बही पार्श्वनाथ तीर्थ भोपाल सागर में ट्रस्ट मंडल के समक्ष कही। मसा ने कहा 47 दिन तक हम घर संसार से दूर रहकर प्रतिदिन प्रातः 3 बजे से रात्रि 9 बजे तक धार्मिक क्रियाएं करके मोक्षमाला पहनते है। इस तप के बाद ही महामंत्र नवकार पढ़ने की पात्रता मिलती है। बही तीर्थ अध्यक्ष अशोक कुमठ ने बताया बही पार्श्वनाथ पर उपधान तप की विनती लेकर ट्रस्ट मंडल लाभार्थी परिवार ज्ञानमल पूनमचंद चौरड़िया परिवार नीमच के साथ करेड़ा पार्श्वनाथ तीर्थ पहंुचा। विनती स्वीकारते हुए आचार्य ने 10 अक्टूबर को प्रवेश की स्वीकृति दी। इस अवसर पर दिलीप डांगी, शेतानमल रांका, योगेश पटेल, यशवंतकुमार लोढ़ा, ज्ञानचंद चौरड़िया, सुनील चौरड़िया आदि मौजूद रहे।
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