
पिपलिया स्टेशन (निप्र)। पर्युषण पर्व से भी ज्यादा महत्व नवपद ओली का है। क्योंकि इसे शास्वत पर्व कहा गया है। नो दिनी आराधना आयंबिल तप के साथ की जाती है। उक्त बात साध्वी चारु दर्शना मसा ने ओली आराधकों को संबोधित करते हुए बही पार्श्वनाथ तीर्थ पर कही। मसा ने कहा अनंत उपकारी भगवान महावीर की देशना अनुसार नवपद ओली आराधना आत्मकल्याण का सर्वोत्कृष्ट साधन है। जिन शासन के नो रत्नों की यह आराधना है। अरिहंत पद, सिद्ध पद, आचार्य, उपाध्याय, साधु, सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान, सम्यक चरित्र, तप की नो दिवसीय आराधना होती है। एक-एक रत्न के जितने गुण है, उतनी क्रियाएं होती है। जो गुणधर्म का रंग है। उस रंग के खाद्य पदार्थ से आयंबिल क्रिया होती है। संघ अध्यक्ष अशोक कुमठ ने बताया प्रातः 8 बजे मंदिर में स्नात्र पूजा का विधान हुआ। दूध अभिषेक, चंदन, पुष्प, धूप दीप, अक्षत, नैवेध, फल पूजा के बाद मंगल आरती हुई। प्रातः 10.30 बजे से व्याख्यान प्रारंभ हुए। करीब 30 आराधक तीर्थ पेढ़ी पर रहकर गर्म पानी का सेवन करते हुए बिना तेल, घी, मिर्च मसाले का भोजन एक समय करके धार्मिक क्रियाएं करते है। प्रभावना सुनीलकुमार कांठेड़ की ओर से रही। रविवार को दोपहर 12.39 पर पुष्प नक्षत्र के अवसर पर सिद्धचक्र महापूजन तीर्थ पर होगी। विधिकारक अरुण आंचलिया रेवास होंगे।
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