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पिपलिया स्टेशन । झारड़ा में मुख्य मार्ग पर शराब दुकान को हटाने के लिए किसान नेता श्यामलाल जोकचंद के नेतृत्व में ग्रामीणों ने कलेक्ट्रेट कार्यालय का घेराव कर करीब 7 घंटे तक धरना दिया व नारेबाजी की । जोकचन्द ग्रामीणों के साथ कलेक्ट्रेट में धरने पर बैठे रहे और शराब माफियाओं को जमकर कोसा। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार शराब माफिया से मिली हुई है और ग्रामीणों के हितों के साथ कुठाराघात हो रहा है शासन प्रशासन शराब माफिया के सामने नतमस्तक है। उल्लेखनीय है कि मल्हारगढ़ का छोटा सा गाँव झारड़ा जहाँ कभी संस्कारों की मजबूत जड़ें थीं, अब अपनी इज्जत बचाने की जंग लड़ रहा है। यह जंग किसी राजनीतिक मुद्दे की नहीं, बल्कि गाँव की अस्मिता और महिलाओं की सुरक्षा की है। एक गाँव, जहाँ हर कोई एक दूसरे को अपने परिवार की तरह मानता था, जहाँ बच्चे बेफिक्र खेलते थे और महिलाएं बिना डर के घर से निकलती थीं। वह गाँव अब अनजाने खतरे के साए में जी रहा है। इस ज्वलंत समस्या को लेकर ग्रामवासी आहत और आक्रोशित है जिनकी आवाज बनकर क्षेत्र के नेता श्यामलाल जोकचंद ने ग्रामीणों के साथ सुशासन भवन में धरना दिया व आबकारी अधिकारी को चुनौती दी। चिलचिलाती गर्मी में सात घंटे तक चले धरना प्रदर्शन में बुजुर्ग, युवा ओर मातु शक्ति इसी बात पर अड़े रहे कि अवैध कलाली हटाने जिम्मेदारी ले तो धरना समाप्त होगा, इस बीच एसडीएम के आश्वासन के बाद प्रदर्शन स्थल पर तहसीलदार पहुंचे और ग्रामीणों को संतुष्ट किया, किसान नेता जोकचंद ने बताया कि तीन दिन में इस समस्या का समाधान नहीं हुआ तो और उग्र होगा। ग्रामीणों ने बताया कि गाँव के मुख्य बस स्टैंड के पास अचानक एक शराब की दुकान खोल दी गई। जहाँ पहले सुकून और शांति थी, अब वहाँ नशे में धूत्त लोगों की भीड़ लगी रहती है। जिस रास्ते से महिलाएं और स्कूली बच्चे रोज गुजरते हैं, वहाँ अब डर और असुरक्षा का माहौल है। परिजन अब बच्चो को अकेले स्कूल भेजने से घबराते हैं। लड़कियों को हर दिन फब्तियों और गंदी नजरों का सामना करना पड़ रहा है। बुजुर्ग, जो कभी शाम को चौपाल पर बैठकर किस्से सुनाते थे, अब इस बात से परेशान हैं कि उनका गाँव किस दिशा में जा रहा है। गाँव की महिलाएं रोते हुए कहती हैं, हमारे बच्चे स्कूल से आते हैं, रास्ते में शराबी खड़े रहते हैं। हमें डर लगता है कि कहीं कोई हादसा न हो जाए। क्या हम अपने ही गाँव में सुरक्षित नहीं? यह सवाल सिर्फ एक माँ का नहीं, बल्कि पूरे गाँव का है। झारड़ा के लोगों ने प्रशासन से बार-बार अपील की कि इस दुकान को हटाया जाए, लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। अगर प्रशासन हमारी आवाज नहीं सुनेगा, तो हमें खुद सड़कों पर उतरना होगा। हम इसे बर्दाश्त नहीं कर सकते। व ग्रामीणों ने साफ कर दिया है कि अगर जल्द से जल्द यह दुकान नहीं हटी, तो वे बड़े आंदोलन के लिए मजबूर हो जाएंगे। यह सिर्फ एक शराब की दुकान नहीं, बल्कि गाँव की शांति और संस्कारों पर हमला है। यह उन माताओं की चिंता है, जो अपने बच्चों के भविष्य को लेकर डरी हुई हैं। यह उन लड़कियों की आबरू का सवाल है, जो हर दिन असुरक्षित महसूस कर रही हैं। यह उन बुजुर्गों का दर्द है, जिन्होंने अपने गाँव को सम्मान और गरिमा के साथ जिया है। ग्रामीणों का अब सवाल यह है क्या प्रशासन इस गुहार को सुनेगा? क्या झारडा के लोगों की माँग पूरी होगी? गाँव के बुजुर्ग गुस्से में कहते हैं, हृमने अपने बच्चों के लिए इस गाँव को सुरक्षित रखा है, लेकिन अब क्या प्रसाशन न्याय करेगा ? क्या हम अपने ही गाँव में सुरक्षित नहीं ? व यह सवाल सिर्फ एक माँ का नहीं, बल्कि पूरे गाँव का है। झारड़ा के लोगों ने प्रशासन से बार-बार अपील की कि इस दुकान को हटाया जाए, लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। कलेक्टर के नाम सोपे ज्ञापन में बताया कि ग्राम झारड़ा मे पूर्व मे मनासा-नारायणगढ रोड़ से करीब 50 मीटर से ज्यादा दूरी पर हरमाला रोड़ पर शराब दुकान संचालित थी। 1 अप्रैल से शराब दुकान नगर के मुख्य बस स्टैंड और आबादी क्षेत्र में शुरू कर दी है, जैसे ही रहवासियों को इसकी खबर लगी तो विरोध शुरू कर दिया ओर धरने पर बैठ गये, मोके पर प्रशासन पहुंचा ओर अस्थाई रूप से शराब की दुकान बंद करवाई ओर 24 घंटो शराब की दुकान बस स्टेण्ड झार्डा से हटावाने का आश्वासन दिया । ग्रामवासी मोके से हटे ओर धराना बंद किया। किन्तु थोडी देर बाद पुनः शराब की दुकान संचालित कर दी गई हैं जो अभी भी चालु हैं । पुलिस की मौजूदगी में शराब का विक्रय हो रहा है। शराब की दुकान रोड़ किनारे खोल दी है वहीं दूसरी और बस स्टैंड तथा आबादी क्षेत्र है, इस इलाकें में शराब दुकान खोल देने से शराबियों का जमघट लगा रहेगा, हादसे की आशंका बनी रहेगी । वहीं महिलाओं का निकलना भी मुश्किल होगा। रहवासी क्षेत्र से 1 किलोमीटर दूर शराब दुकान खोली जाने से ग्रामवासीयो को किसी प्रकार की आपत्ती नहीं हैं। ग्राम झार्डा बस स्टेण्ड से आसपास के काफी गांव लगे हुए होकर ट्राफीक भी काफी ज्यादा लगा हुआ रहता हैं, तथा झार्डा बस स्टेण्ड से कित्तुखेडी, हरमाला, अनुपपुरा, गोपालपुरा आदि गांवो का रास्ता भी जाता हैं, इससे भी दुर्घटनाये होती है। तत्काल शराब की दुकान बस स्टेण्ड क्षेत्र से हटाई जावें तथा ग्रामीण क्षेत्र से 1 किलोमीटर दूर लगाई जावें । तत्काल शराब दुकान नही हटाई गई तो ग्रामवासी आंदोलन व चक्काजाम करने को बाध्य हो जायेंगे जिसकी समस्त जवाबदारी प्रशासन की रहेगी । इस अवसर पर किसान नेता कमलेश पटेल, जयेश सालवी, शयमलाल लकुम, महेश गुप्ता, दिनेश गुप्ता, राहुल किथिरिया, महेश गुप्ता, ईशु धनगर, बलवंत गुर्जर, मुन्ना भाई पठान, मुकन बावरी, राजू खान, अमजद बेग, अशोक मेघवाल, धापूबाई, पप्पू बही आदि मोजूद रहे।